
भारतीय सुदूर संवेदी कार्यक्रम प्रयोक्ताओं की आवश्यकताओं से प्रेरित है |
सन् 1970 में, केरल में, वायु-वाहित आँकड़ों की मदद से नारियल के जड़-संबंधी रोग का पता लगाने के लिए प्रायोगिक तौर पर प्रथम सुदूर संवेदी का उपयोग हुआ | इस प्रायोगिक परियोजना से भारतीय सुदूर संवेदी (आइआरएस) उपग्रह का विकास हुआ |
यहां क्लिक करे इसरो द्वारा किए गए आवेदन परियोजनाओं के विवरण के लिए |
एन्ट्रिक्स, इसरो/अंतरिक्ष विभाग के केंद्रों के तकनीकी सहयोग से भारतीय एवं अंतर्राष्ट्रीय प्रयोक्ता समुदाय दोनों के लिए कृषि, भूमि एवं जल संसाधन, वानिकी एवं पर्यावरण, शहरी नियोजन एवं अवसंरचना विकास, लघु प्रशासन हेतु सहायता, आपदा प्रबंधन सहायता इत्यादि के क्षेत्रों में तकनीकी परामर्शिता प्रदान कर सकती है/सुदूर संवेदी अनुप्रयोग परियोजनाएँ क्रियान्वित कर सकती है |
Choose a tool. ISL opens in a separate full screen view.
Hold each hand sign steady for a moment.
Tip: Keep your hands inside the frame.
Current letter
- (0.0)
Spelled word
Detected word: